Saturday, June 14, 2008

मेरी आंटी जी श्रीमती कीर्ति चौधरी की यादोँ को नमन

कवयित्री कीर्ति चौधरी का निधन
जानती हूँ की समाचार पत्रों से सब पता चल ही जाता है फ़िर भी , आज मेरी कीर्ति आंटी जी की याद आ रही है जब् से ये दुखद समाचार पढे :(
याद है जब् बंबई , हमारे घर पर अंकल जाने-माने रेडियो प्रसारक ओंकारनाथ श्रीवास्तव जी के साथ वे आया करतीं थीं और, हम लोग भी उनके घर जाते, चाचीजी के हाथ की बनी उत्तर भारतीय रसोई खाते थे ...
..उस समय "अतिमा " उनकी बिटिया , जिसका नाम , हिन्दी कविता की शान सुमित्रानंदन पन्त जी ने दिया था , वो , उनकी बिटिया, नन्ही सी थी --
कम लेखन में ही बहुत समग्र विमर्श देकर गई हैं कीर्ति चौधरी
हिंदी नई कविता की जानी-मानी और मुखर कवयित्री कीर्ति चौधरी (१९३४ -२००८ ) का लंदन में निधन हो गया है.
उन्होंने भारतीय समयानुसार शुक्रवार की सुबह तीन बजकर 45 मिनट पर अंतिम साँस ली.
पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहीं कीर्ति चौधरी लंदन में रह रही थीं और वहीं उनका उपचार हो रहा था.
कीर्ति जी की कविताएँ पढ़ने के लिए क्लिक करें
कीर्ति चौधरी तीसरे सप्तक की एक मात्र कवयित्री थीं.
‘तीसरा सप्तक’ (1960) के संपादक अज्ञेय ने 60 के दशक में प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह, कुँवर नारायण, विजयदेव नारायण साही, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और मदन वात्स्यायन जैसे साहित्यकारों के साथ कीर्ति चौधरी को भी तीसरा सप्तक का हिस्सा बनाया.
साहित्यकार केदारनाथ सिंह
महादेवी वर्मा के बाद हिंदी कविता में जो एक रिक्तता आई थी, उसे कीर्ति अपने मौलिक लेखन से पाटती हैं. उनकी कविता एक नए सांचे में थी जिसकी बनावट अलग थी. उसमें एक ताज़गी थी. और अपनी रचनाओं के तल में उनके पास एक ख़ास तरह का स्त्री सुलभ संवेदना का ढांचा था जो उनके समय में किसी और के पास नहीं था
तीसरा सप्तक के कवियों में से एक, जाने माने साहित्यकार केदारनाथ सिंह उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहते हैं, "तीसरा सप्तक के लिए यह दो ही वर्षों में तीसरा आघात है. इसी वर्ष प्रयाग नारायण त्रिपाठी का भी देहांत हो चुका है. इससे कुछ समय पहले मदन वात्स्यायन हमें छोड़कर चले गए."
केदारनाथ सिंह कीर्ति चौधरी के कृतित्व की चर्चा करते हुए कहते हैं, "महादेवी वर्मा के बाद हिंदी कविता में जो एक रिक्तता आई थी, उसे कीर्ति अपने मौलिक लेखन से पाटती हैं. उनकी कविता एक नए सांचे में थी जिसकी बनावट अलग थी. उसमें एक ताज़गी थी. और अपनी रचनाओं के तल में उनके पास एक ख़ास तरह का स्त्री सुलभ संवेदना का ढांचा था जो उनके समय में किसी और के पास नहीं था."
'केवल एक बात थी'
कीर्ति नई कविता की कवियत्री थीं. ऐसी, जिन्होंने महादेवी वर्मा के जाने के बाद आई रिक्तता में अपनी खनक घोलनी शुरू की थी.
कीर्ति चौधरी जाने-माने रेडियो प्रसारक ओंकारनाथ श्रीवास्तव की पत्नी थीं
नई कविता की शुरुआत आम तौर पर ‘दूसरा सप्तक’ ( १९५१ ) से होती है और ऐसा माना जाता है कि १९५९ में ‘तीसरा सप्तक’ के प्रकाशन के साथ वह अपने उत्कर्ष को पहुँच कर समाप्त हो जाती है.
नई कविता के इसी उत्कर्षकाल की साक्षी और सारथी थीं कीर्ति चौधरी और उनकी रचनाएं.
उनकी कविताओं में एक मोहक प्रगीतात्मकता देखने को मिलती है. उनकी कविता में मनुष्य और उसके समग्र अनुभवों को पकड़ने का यत्न हुआ है.
वास्तव में कीर्ति चौघरी की कविता नई कविता के अन्य रचनाकारों की तरह ही संपूर्ण जीवन की कविता है. उनकी कविता में प्रतीकों और बिंबों का काफ़ी प्रयोग मिलता है.
जीवन परिचय
कुछ चर्चित रचनाएं
दायित्वभार- तीसरा सप्तक
लता- 1,2 और 3- तीसरा सप्तक
एकलव्य- तीसरा सप्तक
बदली का दिन- तीसरा सप्तक
सीमा रेखा- तीसरा सप्तक
कम्पनी बाग़
आगत का स्वागत
बरसते हैं मेघ झर-झर
मुझे फिर से लुभाया
वक़्त
केवल एक बात थी
एक जनवरी, १९३४ को उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के नईमपुर गाँव में एक कायस्थ परिवार में उनका जन्म हुआ था.
कीर्ति चौधरी का मूल नाम कीर्ति बाला सिन्हा था. उन्नाव में जन्म के कुछ बरस बाद उन्होंने पढ़ाई के लिए कानपुर का रुख़ किया. 1954 में एमए करने के बाद 'उपन्यास के कथानक तत्व' जैसे विषय पर उन्होंने शोध भी किया.
साहित्य उन्हें विरासत में भी मिला और फिर जीवन साथी के साथ भी साहित्य, संप्रेषण जुड़े रहे.
हालांकि पिता एक ज़मीदार थे पर कीर्ति चौधरी की माँ, सुमित्रा कुमारी सिन्हा ख़ुद एक बड़ी कवयित्री, लेखिका और जानी-मानी गीतकार थीं.
पर कीर्ति चौधरी का लेखन माँ के प्रभाव से मुक्त था और अपनी मौलिकता लिए हुए था.
उनकी रचनाधर्मिता के पीछे अनुभवों की विविधता भी एक कारण रहा होगा. इसका संकेत कीर्ति अपने बारे में लिखते हुए देती हैं.- "गाँव, कस्बे और शहर के विचित्र मिले-जुले प्रभाव मेरे ऊपर पड़ते रहे हैं."
साहित्यकार केदारनाथ सिंह
तीसरा सप्तक के लिए यह दो ही वर्षों में तीसरा आघात है. इसी वर्ष प्रयाग नारायण त्रिपाठी का भी देहांत हो चुका है. इससे कुछ समय पहले मदन वास्स्यायन हमें छोड़कर चले गए !

कीर्ति चौधरी का विवाह हुआ हिंदी के सर्वश्रेष्ठ रेडियो प्रसारकों में से एक, ओंकारनाथ श्रीवास्तव से.
बीबीसी हिंदी सेवा के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे ओंकारनाथ श्रीवास्तव केवल रेडियो को अपने योगदान ही नहीं, बल्कि अपनी कविताओं और कहानियों के लिए भी जाने जाते हैं.
जानेमाने साहित्यकार अजित कुमार कीर्ति जी के भाई हैं।

Ajit Kumar remembers Harivansh Rai Bachchan

Renowned Hindi writer Ajit Kumar remembers the great poet Harvansh Rai Bachchan. As one of his dearest disciples, Ajit Kumar gives us some rare glimpses of the poet's life. He says Bachchan was a strict teacher, Jawahrlal Nehru's Hindi adviser and of course a great poet. And very few of us know that Harivansh Rai and Teji Bachchan were disciplined and organised parents and their household was a typical Allahabadi Sangam of tradition and modernity, that later reflected in many of the films and songs of their son Amitabh Bachchan. History Talking.com presents the life story of Harivansh Rai Bachchan.
To listen click here
(Hindi)
कीर्ति चौधरी की साहित्यिक यात्रा यों तो बहुत लंबा-चौड़ा समय और सृजन समेटे हुए नहीं है पर जितना भी है, उसे किसी तरह से कमतर नहीं आंका जा सकता.
कीर्ति चौधरी के परिवार में अब उनकी बेटी अतिमा श्रीवास्तव हैं जो ख़ुद अंग्रेज़ी की लेखिका हैं। अतिमा के दो उपन्यास, 'ट्रांसमिशन' और 'लुकिंग फ़ॉर माया' प्रकाशित हो चुके हैं.


बी। बी। सी हिन्दी से साभार



-- लावण्या





12 comments:

अनूप शुक्ल said...

कीर्ति जी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

Abhishek Ojha said...

news mein padha ... shradhanjali kirti ji ko,

unake baare mein di gayi jaankari ke liye shukriya.

दिनेशराय द्विवेदी said...

श्रद्धेय कीर्ति चौधरी को हार्दिक श्रद्धांजलि.

कुश said...

कीर्ति जी को हमारी और से हार्दिक श्रद्धांजलि

mehek said...

keerti ji ke baarein mein hidyugm par padha tha,unke baarein mein aur jankar achha laga,hamari aur se bhi unhe shraddha suman arpit.

Gyan Dutt Pandey said...

कीर्ति जी को श्रद्धांजलि।
और आपके जानने वालों में इतनी विभूतियां हैं कि मैं प्रशंसा से भर जाता हूं आपके प्रति।

डॉ .अनुराग said...

कीर्ति जी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।

Rachna Singh said...

never met keerti mausi but ajeet mama ji and my father dr b n singh both taught in the same college Kirorimal and same dept hindi . ajit mama jis mother was very close to my maternal uncle and frequent visitor to his home in lucknow . i pay my homage to the departed soul

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Rachna ji,
This is a close family loss for you as foor all of us, we lost a Great poetess & a Noble Lady -
the world indeed is small -
We meet here in Cyber space ! on HINDI BLOG World Fraternity.
My respects & condolences to your extended family at this time of loss & grief.
Regards,
Lavanya

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अनूप भाई,
अभिषेक भाई,
अनुराग भाई,
दिनेश भाई जी,
ज्ञान भाई साहब्,
कुश जी,
महेक जी,
रचना जी
आप सभी की श्रध्धाँजली
कीर्ति जी के लिये स्वीकार करते , श्रध्धानत हूँ ......
- लावण्या

mamta said...

कीर्ति जी को हमारी विनम्र श्रधांजलि।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

shukriya Mamta ji
sa sneh,
Lavanya