

मेरी, आपकी, अन्य की बात
ये ४० लख रुपये से बनी, असली रेशम और ज़री की कारीगरी से बनी साडी है जिस पर राजा रवि वर्मा की कलाकृति को हुबहु उकेरा गया है - दक्षिण भारत की सिने तारिका इसे थामे मुस्कुरा रहीँ हैँ
अब ये विश्व के सुप्रसिध्ध नगीनोँ की दमकती हुई झलक है !
और ये हैद्राबाद के निज़ाम की शाही साफे पे बाँधीजानेवाली "कलगी" है - जिसमें दुर्लभ रत्न पन्नोँ का हरा रँग व हीरे इसे एक बेनमून कालाकृति बना रहे हैँ
A link on the Federal Reserve Bank of San Francisco Web site shows the front and reverse of the $100,000 note.
You're not likely to get one of these as a tip.
स्वर कोकिला सुश्री लता मंगेशकर


बान्द्रा वरली ब्रिज जो अभी बन रहा है
बान्द्रा वरली ब्रिज पर एक विहँगम दृष्टि
हिन्दुस्तान अखबार से मिली एक खबर ने, मन मेँ , BRIDGE = "ब्रीज" याने "पुल" के प्रति दुबारा विस्मय व श्रध्धा को भर दिया -- ये खबर दे रहीँ थीँ - madhurimaa nandee -- देखेँ लिन्क http://www.hindustantimes.com/news/specials/bombay/index.shtml
और ये " COVERED BRIDGES = कवर्ड ब्रिज या ढँक़े हुए पूल " कहलाते हैँ और उत्तर अमरीका मेँ प्राय: पाये जाते हैं और बहुत खूबसुरत होते हैँ -इन्हीँ पर एक प्रसिध्ध पुस्तक " ब्रीजीस ओफ मेडीसन काऊँटी " नामक लिखी गयी है जो एक सफल होलीवुड़ फिल्म भी बनी जिस मेँ क्लीँट इस्टवूड और मेरीलीन स्ट्रीप की बेहतरीन अदाकारी है -
First LL`adro GANESH

Bal Krishna
LL`adro LAXMI Devi
विदेश मेँ रहनेवाली लडकीयाँ, जब भारतीय लोगोँ के परिचय मेँ आतीँ हैँ, मित्रता करतीँ हैँ तो भारतीय स्त्री का रहन सहन,वेश भूषा भी अपना लेतीँ हैँ ..शुरु शुरु मेँ उन्हेँ कठिनाई भी आती है ..साडी सम्हलती नहीँ ..फिर भी प्रयत्न करके, वे साडी पहनना, पसँद करतीँ हैँ ऐसी ही एक सुँदर कन्या से मेरी मुलाकात हुई जिसने बडे सलीके से मेँहदी के रँग की रेशमी साडी, बडे जतन से पहन रखी थी ..मुझे उसपर गर्व हुआ और प्यार भी आया 
छवि , तो भारतीय नारी की है ...
और ये अँतिम छवि है ...सुप्रसिध्ध सिने कलाकार श्री सशि कपूर जी की ब्रिटीश पत्नी जनीफर केन्डल की बिटियासँजना कपूर की जो , भारत मेँ ही जन्मी, पलीँ, बडी हुईँ हैँ..
ब्रिटेन की आधी + आधी हिन्दुस्तानी विरासत लिये, साडी बाँधे कितनी सहज व प्यारी दीख रहीँ हैँ ...
ये भी कह दूँ कि, इतने बरस विदेश मेँ रहते हुए भी मैँ यही मानती हूँ कि साडी जैसा सुँदर पहनावा, स्त्री के लिये दूजा कोई नहीँ .
.हर तरह की साडी से नारी आकृति की शोभा को गरिमा व असीम सौँदर्य मिलता है ..साडी सदीयोँ से चला आ रहा ऐसा पहनावा है ..जो स्त्री को अधिकाधिक मोहक बनाता है , हर ऐब को ढँकने मेँ सक्षम,साडी, हर नारी के बाह्य सौँदर्य को निखार कर, आकर्षक रुप प्रदान करती है ..यही नहीँ..आँचल की ओट किये, जलता दीपक ले जाती नारी आकृति ने कई मनमोहक छवियाँ प्रस्तुत कीँ हैँ ..और हर बच्चे की स्मृतियोँ मेँ उसके माँ के आँचल को, कस कर थाम ने की छाप अमिट, बसी हुई होती है. , ये मेरा निजी मत हो ...परँतु,साडी सच मेँ मेरा सर्वप्रिय परिधान है और रहेगा


देवी - दर्शन ? ;-)
ऐश्वर्या को बीग -बी ( अमिताभ जी ) व जया जी व परिवार "परी" के नाम से बुलाते हैँ - ३४ वीँ साल गिरह पर अपने तोहफे नीली ( मर्सीडीज़ )लक्ज़री कार के साथ खुश होकर खडीं ऐश्वर्या बच्चन राय
और ये खडाऊँ हैँ भारत के सँत महात्मा , हमारे सबके दुलारे गाँधी बापू जी की --- जिन्हेँ देखकर ये विचार आ रहा है कि, भारत का आज का सच, बहुत बदल गया है उन्नतिशील, प्रगति के पथ पर चलते,भारत के प्रति मुझे गर्व है, सद्` भावनाएँ हैँ परँतु .....ये भी सोचती हूँ कि, हमारे असँख्य बलिदानी, शूरवीर देश भक्तोँ के बलिदान, उनकी कुरबानीयाँ आज का २१ वीँ सदी का भारत, भूल न जाये तो ही अच्छा होगा ...
लावण्यम----अंतर्मनशीर्षक में विषय-वस्तु के बीज समाहित होते हैं.लावण्यम----अंतर्मन इसी बीज का पल्ल्वीकरण है.हृदयेन सत्यम (यजुर्वेद १८-८५) परमात्मा ने ह्रदय से सत्य को जन्म दिया है. यह वही अंतर्मन और वही हृदय हैजो सतहों को पलटता हुआ सत्य की तह तक ले जाता है.लावण्य मयी शैली में विषय-वस्तु का दर्पण
बन जाना और तथ्य को पाठक की हथेली पर देना, यह उनकी लेखन प्रवणता है. सामाजिक, भौगोलिक, सामयिक समस्याओं
के प्रति संवेदन शीलता और समीकरण के प्रति सजग और चिंतित भी है. हर विषय पर गहरी पकड़ है. सचित्र तथ्यों को प्रमाणित करना उनकी शोध वृति का परिचायक है. यात्रा वृतांत तो ऐसे सजीव लिखे है कि हम वहीं की सैर करने लगते हैं.आध्यात्मिक पक्ष, संवेदनात्मक पक्ष के सामायिक समीकरण के समय अंतर्मन से इनके वैचारिक परमाणु अपने पिता पंडित नरेन्द्र शर्मा से जा मिलते हैं,
जो स्वयं काव्य जगत के हस्ताक्षर है.पत्थर के कोहिनूर ने केवल अहंता, द्वेष और विकार दिए हैं, लावण्या के अंतर्मन ने हमें सत्विचारों का नूर दिया है.पारसमणि के आगे कोहिनूर क्या करेगा?- डा. मृदुल कीर्तिAll sublime Art is tinged with unspeakable grief.
All Grief is a reflection of a soul in the mirror of life'SONGS are those ANGEL's sound that Unite US with the Divine.'
About me:
Music and Arts have a tremendous pull for the soul and expressions in poetry and prose reflects from what i percieve around me through them.