Monday, January 14, 2008

एहसास

शर्मीली नादाँ, कली - सी
http://www.youtube.com/watch?v=cDhQVw38aos
प्यार मेँ मिल जाते हैँ जब दो दिल,
आसमान के उजालोँ मेँ छिप जाती है
तारोँ की बारात,
गाती है सहर,रोती है रात
गाता है समाँ अँगडाइयाँ ले.
देता है दीलबर तुझे हर नज़ारा
प्यार के मेरे, ये ,मीठे पैगाम
बड़े अरमानों से वादों ने
दिल में घर बसाया था,
पर मोहोब्बत करनेवालों का तड़पना
किसने देखा है ?
प्यार में मर जाने का
हाय, ये अंदाज़ किसने देखा है ?
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"आपकी नज़रों ने समझा प्यार के काबिल मुझे "
"
http://www.youtube.com/watch?v=4F2hKCBlBls"




5 comments:

अफ़लातून said...

गीत सुने, देखे ।अच्छे लगे। आप अपने ब्लॉग पर ही विडियो embed करना शायद पसन्द नहीं करतीं ।अभी उसी पृष्ट पर विडियो खुल रहे हैं। इस कारण हर बार पीछे आ कर खटका मारना पड़ रहा है ।यदि यह नई खिड़की में खुलता तब भी ठीक था।चिट्ठा सुन्दर है ।

Manish Kumar said...

सुंदर गीत लगे, शुक्रिया इन्हें सुनवाने का !

mamta said...

गीत सुनवाने का बहुत-बहुत आभार !!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

अफ़लातून जी;
सच कहूँ तो मुझे डाय्ररेक्ट लिन्क लगाना नहीँ आता :-(
आपको बार बार गीतोँ को सुनने के लिये, वापस आना पडा उसका खेद है
परँतु, आपने यहाँ आकर आपकी बहुमूल्य राय दी उसके लिये , शुक्रिया !
सादर, स स्नेह,
- लावण्या

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

मनीष भाई आपका शुक्रिया
और ममता जी - आपकी टिप्पणी का भी शुक्रिया !
सादर, स स्नेह,
- लावण्या