Monday, November 2, 2009

नवम्बर , आरम्भ हो गया है .........

अजी सुन रहे हैं क्या ? जी हां नवम्बर आरम्भ हो गया है

अरे हां, हमने भी दुनियाभर के समाचार सुन लिए -- ओबामा जी कहते हैं,
अब सब ठीक होनेवाला है -- मैं , नाना को भी यही तो सुना रहा हूँ ;-)

नवम्बर आरम्भ हो गया है आपको पता भी है क्या , अब २००९ का ये साल
बस कुछ दिनों का मेहमान है ?
हम दोनों , कब से , दरवाज़े पर दस्तक दे रहे हैं !!
खोलिए ना....देखिये, इस दरवाज़े के पीछे , कौन छिपा है ? हमें पता है !! वो है - २०१० , का नया साल ! सज धज कर , आने की तैयारी में जुटा है
हरी - हरी धरती है, नीला - नीला आसमान,
नदिया के पार कहीं, गूंजे बांसुरी की तान
ज्योति यशोदा , धरती गैया ,
नील गगन गोपाल कन्हैया
श्यामल छबि झलके, ज्योति कलश
छलके

धरित्री पुत्री तुम्हारी, हे अमित आलोक
जन्मदा मेरी वही है, स्वर्ण - गर्भा कोख
[शब्द : स्व। पण्डित नरेंद्र शर्मा ]
मैं ऊचक कर देख रहा हूँ ,
कौन आ रहा , उस पथ से
कौन दिवा के पार खडा है
किस भविष्य के रथ पे ?

[- लावण्या ]

मेरी कविता अन्न प्राण मन की हो वाणी

प्लावित करे धरा को वह गंगा कल्याणी
[शब्द : स्व। पण्डित नरेंद्र शर्मा ]

नन्ही कोमल हथेली , थामे मेरा हाथ
भोले नयनों में भरा , है अटल विश्वास
ये नन्हे मुन्ने राजा , धीरे धीरे बढेंगें
आज ऊंगली थामे चलते है, ,
कल, ना जाने क्या कहेंगें ?
भावी के हाथों में सब -
स्वप्न मेरी आँखों में ,
देखा करतीं जो, तुझे
नन्हे , लाल, सलोने
मन भीगा रहता है मेरा
प्रेम की गंगा यमुना सा
कभी तुम कृष्ण बन जाते,
कभी राम, या भारत लला !
शिशु मुस्कान है अजोड
जग में नहीं, इसका तोड़
नन्हे मुन्ने आज के बच्चे,
कल के होंगें खूब सयाने
दूध, मिठाई, टोफ्फी बिस्कुट ,
फल, मीठे और रसीले,
जो तुम्हें खिलाती हूँ, मैं,
चाव भरी, अपने हाथों से मैं
जब् मीठी नींद सुलाती हूँ,
तुम पूछते, हो यूं मुझसे,
" नानी, परी कब आयेगी ? "
मैं कहती , " जब् , तू आँखें मूंदे ! "
फिर सो जाता है हर शिशु,

विश्वास भरा लिए मन
मैंउठकर कविता रचती
कैसे लिख दूं, नन्हे राजा ,
क्यूं आँखें मेरी यूं भरतीं ?
खूब देखती, तुम्हें प्रेमवश
फिर भी बहुत रह जाता है
कैसे समझाऊँ लिखकर यूं
क्या, मेरा तुझसे नाता है ?

तुम ईश्वर के कृपा - वरदान
हो सदा, तुम्हारा शुभ्कल्याण
खूब हंसो, बढो, कूदो और खेलो-
नानी का " बाबू " तू बने महान !
- लावण्या
आइ लव यू " नोआ"
ये गीत सुनिए -- मुझे बहोत पसंद है ये गीत
If I could save time in a bottle
The first thing that Id like to do Is to save every day
Till eternity passes away
Just to spend them with you
If I could make days last forever
If words could make wishes come true
Id save every day like a treasure and then,
Again, I would spend them with you
But there never seems to be enough time
To do the things you want to do
Once you find themIve looked around enough
to know That youre the one I want to go
Through time with If I had a box just for wishes
And dreams that had never come true
The box would be empty Except for the memory
Of how they were answered by you
But there never seems to be time
To do the things you want to do
Once you find them Ive looked around enough
to know That youre the one I want to go Through time with

23 comments:

M VERMA said...

सुन्दर भाव और सम्प्रेषण. चित्रो ने बाकी काम पूरा कर दिया

Arvind Mishra said...

नयनाभिराम चित्र और लीजेंड्स ! और कविता भी !

Udan Tashtari said...

नोआ जी तो बड़े भारी जूते पहने हैं..सो क्यूट!! :)


बढ़िया पोस्ट.

वाणी गीत said...

खुबसूरत चित्रों के साथ उम्दा कवितायेँ ..!!

अजित गुप्ता का कोना said...

ज्‍योति कलश छलके, गीत पूरा पढ़ने का मन हो गया। लावण्‍या जी बहुत अच्‍छी पोस्‍ट है। दरवाजे के पीछे 2010 की कल्‍पना भी बहुत अच्‍छी है। बधाई।

Alpana Verma said...

-bahut hi sundar chitrmay post..

-sach mein--naya saal aane hi wala hai!!!!!!!

--aap ke naati ne shoes to bahut jabardast pahne hue hain..:)..chal kaise payenge in shoes mein???
-Nani ke baabu ko mera bhi dher sara pyar aur Ashish.
-nani ke babu ke liye likhi kavita bhi bahut achchee hai.

--english geet bhi youtube par dekha-suna..abhaar.

पंकज सुबीर said...

चित्रों तथा कविताओं का एक अनूठा प्रयोग देखने को मिला । किन्‍तु इन नन्‍हें बाल सुमनों का परिचय नहीं मिल पाया । नान संबोधन से ये तो ज्ञात हो रहा है कि नवासे हैं । जूतों के अंदर नन्‍हे को देख कर स्‍मरण आया सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है । दीदी साहब वो जो पूज्‍य पंडित जी की रचनावली का प्रकाशन चल रहा है वो किस अवस्‍था में है क्‍या वर्ष 2010 में वो पाठकों के हाथ में आ जाएगी । पूज्‍य पंडित जी की सम्‍पूर्ण कविताओं को एक ही स्‍थान पर पढ़ने की उत्‍सुकता बहुत है ।

ताऊ रामपुरिया said...

हमेशा की तरह सुंदर चित्रों से सजी लाजवाब पठनीय सामग्री. नोवा जी बडे क्युट लग रहे हैं, आज नजर उतार दिजियेगा.:) बहुत प्यार नोवा जी को.

रामराम.

डॉ .अनुराग said...

एक दम झाकास फोटू है ...एक दम झकास नाना .एक दम झकास नाती ..

Abhishek Ojha said...

कई भाव लिए आपकी 'फ्यूजन' पोस्ट हमेशा ही अच्छी लगती है. अचानक ही ध्यान आया २००९ भी जाने वाला है !

शरद कोकास said...

इतने प्यारे प्यारे बच्चे ...ओह बच्चे तो प्यारे ही होते हैं ।

राज भाटिय़ा said...

चित्र बहुत सुंदर लेकिन सब से सुंदर चित्र नोआ वाला भाई जुते थोडे ओर बडे पहन लेते, ओर उम्दा कविता.
धन्यवाद

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

BAHUT HI SUNDAR.......

pran sharma said...

LAVANYA JEE,
AAP TO BADEE KATHAKAR HAIN.AAPNE
TO NANHE-NANHE HONHAAR BACHCHON KE
CHITRON AUR UN PAR KAHEE KAVITAON
SE HEE ITNEE PYAAREE-PYAAREE KAHANI
RACH DEE HAI.ISE KAHTE HAIN SATYAM,
SHIVAM AUR SUNDARAM-MAHAKAVI PT.
NARENDRA SHARMA JEE KAA SAAKAAR
AUR UJJWAL SAPNA.
SARDEE KE AAGMAN PAR MEREE SABKO
SHUBH BADHAAEE.

Gyan Dutt Pandey said...

अनूठा कोलाज है, चित्रों, कविताओं, मौसम और वर्तमान को जोड़ता हुआ।
यह विधा तो आप से सीख कर प्रयोग करनी होगी ब्लॉगरी में।
बच्चों के चित्र बहुत मनभावन हैं और उनसे मेल खाती काव्य-पंक्तियां भी।

"अर्श" said...

didi sahab ko pranaam,
ye to anuthaa post hai, kya khub samarpan hai kavitawon aur chitra ka anokha milan hai isme... badhaayee didi sahab..


arsh

शोभना चौरे said...

abhut smmishran chitro ka ,bhavnao ka aur nya andaj nye varsh ke aagman ka .bahut sundar post.

Devi Nangrani said...

प्रिय लावण्या
मैं ऊचक कर देख रहा हूँ ,
कौन आ रहा , उस पथ से
कौन दिवा के पार खडा है
किस भविष्य के रथ पे ?
नए साल के आगमन कि तम्माम तयारी हो गयी है.. इस ब्लॉग पर एक बात साफ़ नज़र आई, वो यह कि इसमें हिदोस्तान कि सौंधी सौंधी खुशबू बरकरार मिली. कविताओं और चित्रों कि रंगरंगी महफ़िल में मुझे हर पर्व कि छाया मिली जिसे देखकर माँ प्रसन हो गया..
दीपकजी अपने नन्हे दोहते के साथ इसी नववर्ष के आगमन के लिए इंतज़ार कर रहे है शायद!!
शुभकामनाओं सहित
देवी नागरानी

Smart Indian said...

जितने सुन्दर चित्र उतने ही प्रभावी शब्द. बड़े जूते वाला चित्र बहुत ही अच्छा लगा.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

bahut hi sunder bhaav ke saath .yeh post bahuuuuuuuuuuuuuuuuuut achchi lagi.........

Asha Joglekar said...

सुंदर चित्र वो भी शीर्षक के साथ और सात में आपकी कविता भी । If I can save time in a bottle बहुत अच्छी लगी ।

गौतम राजऋषि said...

आपका ऐलान भाया दीदी...ऐलान से ज्यादा उसका अंदाज़ भाया :-)

"मैं ऊचक कर देख रहा हूँ ,
कौन आ रहा , उस पथ से
कौन दिवा के पार खडा है
किस भविष्य के रथ पे ?"

चुरा लूँ ये पंक्तियाँ अपने भांजे के लिये?

महावीर said...

कविताओं और चित्रों का सुन्दर संगम है. जूते के अन्दर तो नन्हें मुन्ने को देख कर आनंद आ गया.

चित्र और उस पर ये पंक्तियाँ तो सोने पर सुहागा है:
मैं ऊचक कर देख रहा हूँ ,
कौन आ रहा , उस पथ से
कौन दिवा के पार खडा है
किस भविष्य के रथ पे ?
नोआ और ब्रायन का चित्र फोटोग्राफी की दृष्टि से अनुपम है. फोटोग्राफर को हार्दिक बधाई.
Jim Roce का यह गाना बहुत सुन्दर है. कितनी विडम्बना है कि केवल ३० वर्ष की आयु में ही ईश्वर ने उसे बुला लिया. आज ३६ वर्षों के बाद भी उसके गानों में वही ताजगी और आकर्षण है.
आज भी फिर यह कहने के लिए बाध्य हो गया हूँ कि यह ब्लॉग तो एक ज्ञान का संग्रहालय है.
महावीर शर्मा