Wednesday, September 14, 2011

यू एन ओ मे हिन्दी :

यू एन ओ मे हिन्दी : UNO

यू एन ओ संस्था या संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना सन १९४५ की २४ अक्टूबर के रोज हुई थी. द्वीतीय विश्व युध्ध के पश्चात ५१ राष्ट्रों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र संघ का शांति और सद्भाव बढाने के हेतु से , संगठन किया था

आप अपने कंप्यूटर के जरिए विश्व के किसी भी भाग से यू एन ओ की सैर कर सकते हैं - लिंक देखें और चलिए -

१ ) http://www.un.org/Pubs/ CyberSchoolBus/
२) http://cyberschoolbus.un. org/infonation/index.asp

आज संयुक्त राष्ट्र संघ मे १९५ देश शामिल हैं .यू एन ओ के १००, ००० कार्यकर्ता, शांति स्थापना के कार्य मे , विश्व के कयी मुल्कों मे यू एन ओ के निर्देश पर कार्यरत हैं . अरबी , चीनी , फ्रांसीसी , रशियन और स्पेनिश यू एन ओ की मुख्य भाषाएँ हैं अब हिन्दी भाषा को भी यू एन ओ ने विश्व की एक प्रमुख भाषा मानकर चुन लिया है . Arabic, Chinese, English, French, Russian and Spanish are the UN
संयुक्त साष्ट्र संघ संस्था उत्तर अमरीका गणराज्य के न्यू योर्क शहर मे स्थित है
यू एन ओ के प्रमुख सेक्रेटरी जनरल का चुनाव किया जाता है. सेक्रेटरी जनरल राजनैतिक नेता भी हैं, साथ साथ विश्व के हर व्यक्ति के हितैषी भी हैं ख़ास कर गरीब और नीचले तबक्के मे जी रहे लोगों के हक्क को ध्यान मे रखनेवाले सर्व हितैषी प्रमुख हैं . विश्व मे मुल्कों के बीच तनाव और लड़ाई के समय , हस्तक्षेप कर शांति स्थापना भी यूं एन ओ के सेक्रेटरी जनरल का कार्य है . वे सी ई ओ की भांति इस संस्था का संचालन करते हैं . अब तक सात सेक्रेटरी जनरल संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख पद पर कार्य कर चुके हैं .उनके नाम इस प्रकार हैं --

कोफ़ी अ . अन्नान जी का जन्म घाना


- कार्वावधि : १९९७ से -२००६
- कुमासी , घाना मे जन्मे अन्नान अंग्रेज़ी , फ्रेंच और कयी सारी आफ्रीकी भाषाएँ जानते हैं उन्हें नोबल इनाम भी दिया गया है .




बौत्रोस बौत्रोस -घाली - ईजिप्त

- कार्यावधि १९९२ -१९९६
- श्रीमान घाली का जन्म कैरो , ईजिप्त मे हुआ पेरिस , फ्रांस से उन्हें अंतर राष्ट्रीय कानून मे पी एच डी की डिग्री ली और वे बहुभाषीय , विद्वान रहे हैं जिनकी अनेक पुस्तकें छपी हैं -





जविएर पेरेज़ दे केल्लर पेरु


- कार्यावधि : १९८२ -१९९१
- पेशे से वकील पर बाद मे अंतर राष्ट्रीय कानून मे पेरू विश्विद्यालय मे अध्यापन कार्य किया . ब्राजील, यूनाईटेड कींग्दम, पोलैंड, वेनेजूएला, सोवियत संघ , बोलीविया , इत्यादी देशों मे राजदूत बने



कर्ट वाल्धेइम ऑस्ट्रिया

कर्ट वाल्धेइम ऑस्ट्रिया


संक्त अनदर -वोर्देर्ण , विएन्ना , ऑस्ट्रिया मे जन्म
-कार्यावधि : १९७२ -१९८१
- फ्रांस पेरिस, केनेडा , तथा आफ्रीका के नामीबिया प्रांत मे शांति प्रयास के लिए यात्राएं आस्ट्रिया की सरकार के तहत कीं व लेबनोन, इजराईल, ईजिप्त , जोर्डन , साइप्रस , भी गये - भारत, पाकिस्तान तथा नव निर्मित देश बांग्ला देश के आपसी संबंधों के सुधार के लिए प्रयत्न कीये - आफ्रीका, कारकास , सान्तीआगो, स्टॉक होम , दक्षिण अमरीका , खाडी मुल्क , यूरोप की यात्राएं भी इनके कार्यक्षेत्र का हिस्सा रहे -

यु थांत म्यांमार


कार्यावधि : १९६१ -१९७१
- पन्त्त्नो बर्मा मे जन्मे यु थांत हेड मास्टर थे . दूर संचार, शैक्षणिक क्षेत्र राजदूत तथा बर्मा के राजकारण तंत्र से जुड़े और यु एन ओ के सेक्रेटरी जनरल पड़ पर आसीन हुए जब् उनसे पहले पदासीन श्रीमान दाग हम्मरसकजोलद जी का विमान दुर्घटना मे कोंगों मे निधन हुआ था -



दाग हम्मरसकजोलद स्वीडन

दाग हम्मरसकजोलद स्वीडन

कार्यावधि : 1953-1961
- स्वीडन के राष्ट्र प्रमुख के पुत्र उप्प्पासला नामक विश्वा विद्यालय वाले शहर मे पले
"Konjunkturspridningen" (The Spread of the Business Cycle)
पी एच डी विषय पर हासिल की
-बेंकिंग के अध्यक्ष पद पर रहे सुएज़ नहर के हरेक देश के लोगों का यातायात इनके कार्यावधि के दौरान हुआ था . कोंगों यात्रा के दौरान विमान दुर्घटना मे आकस्मिक निधन हुआ

त्र्यग्वे लिए नोर्वे


कार्यावधि : १९४६ -१९५२
- ओस्लो , नोर्वे मे जन्मे श्रीमान त्र्यग्वे लिए सन १९४० मे विदेश मंत्री पद पर थे . सन १९४५ मे नोर्वे राष्ट्र मंडल के साथ वे अंतर राष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र संघ की विशाल बैठक मे हिस्सा लेने आये उसी वक्त संयुक्त राष्ट्र संघ की रूपरेखा , कानून दस्तावेज तैयार किये गये
इटली , इथोपिया और सोमालिया की राष्ट्र सीमा के पेचीदा मुद्दों का इनके अध्यक्षता मे निपटारा किया गया था और हाल मे श्रीमान बान की मून , कोरिया के नागरिक संयुक्त राष्ट्र संघ के सेक्रेटरी जनरल हैं .
श्रीमान बान की मून , कोरिया के नागरिक हैं और फ्रेंच, कोरीयन और अंग्रेज़ी भाषाओं के जानकार हैं राष्ट्र संघ के , आंठ्वे सेक्रेटरी जनरल हैं उन्होंने १ जनवरी २००७ मे ये पद ग्रहण किया

Official portrait of Secretary-General Ban Ki-moon. Click photo to enlarge.
















अंतर राष्ट्रीय स्तर पर , विश्व हिन्दी सम्मलेन , उत्तर अमरीका के न्यू योर्क शहर मेँ स्थित अन्तर्राष्ट्रीय सँस्था U.N.O. यु.एन्.ओ. के तत्त्वाधान मे संपन्न हुआ था .

उद्घाटन समारोह मे संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव, बान की मून ने उद्घाटन समारोह मे एक दो वाक्य हिंदी में बोल सभी उपस्थित जन के मन को जीत लिया और उनके खुलासे ने कि ,
' उनके दामाद की मातृभाषा हिंदी है ' लोगों को प्रसन्न कर दिया था

जुलाई मेँ, अँतराष्ट्रीय हिन्दी दिवस सम्मेलन न्यु -योर्क शहर मेँ सम्पन्न हुआ य़े हिन्दी का " परदेस " की भूमि पर हो रहा "महायज्ञ "ही था .
पिछले इसी तरह के सम्मेलनोँ मेँ हिन्दी की महान कवियत्री आदरणीया श्री महादेवी वर्मा जी ने भी समापन भाषण दिया था. भाषा - भारती "हिन्दी" को युनाइटेड नेशन्स मेँ स्थान मिले ये कई सारे भारतीय मूल के भारतीयोँ की एक महती इच्छा है. ये स्वप्न सत्य हो ये आशा आज बलवती हुई है.

इस दिशा मेँ बहुयामी प्रयास यथासँभव जारी हैँ.
न्यु योर्क शहर का जो मुख्य इलाका है उसे "मेनहेट्टन " कहा जाता है

देखिये ये लिन्क -- http://en.wikipedia. org/wiki/मन्हात्तन
http://en.wikipedia.org/wiki/ New_york_city

इस बृहद प्रदेश " न्यु -योर्क " का चहेता नाम है, 'बीग ऐपल" या फिर "गोथम सीटी और ये भौगोलिक स्तर पर पाँच खँडो मेँ बँटा हुआ है - जिन्हें , "बरोज़" कह्ते हैँ जिनके नाम हैँ -ब्रोन्क्स, ब्रूकलीन,मनहट्टन, क्वीन्स और स्टेटन आइलेन्ड...मेन्हेत्टन को डच मूल के लोगोँ ने १६२५ मेँ बसाया था और इसका क्षेत्रफल ३२२ या ८३० किलोमीटर था. यह विश्व का बृहदतम शहरी इलाका है जिसकी आबादी १८.८ कोटि जन से अधिक है.
यहाँ विश्व के हर देश से आकर बसे लोग आपको दीख जायेँगे.

सँयुक्त राष्ट्र सँघ के अति विशाल तथा हरेक आधुनिक सुरक्षा , साज सज्जा तथा उपकरणों से लैस , विशाल प्रसाद के बाहर एक पाषाण - शिल्पाकृति बनी हुई है जिसकी तस्वीर संलग्न है . जिसमे बन्दूक की नलिका का मूंह , मोड़ कर बन्ध कर बन्ध कर दिया गया है तो उसे देखकर विचार मन मे आया कि,
" भविष्य मे , समग्र विश्व मेँ , अहिँसा का प्रचार व प्रसार हो !
तथा शाँति का सँदेश फैल कर २१ वीँ सदी के समग्र मानव जाति के लिये, एक "शाश्वत सर्वोदय " का सँदेश फैलाए और वह 'अमर सँदेश '
हमारी "हिंदी भाषा " मेँ ही हो !
gun with closed mouth .JPG

प्रवासी आगमन के इतिहास की कुछ महत्त्वपूर्ण खोज इस प्रकार है .

ब्रिटेन मे रश्मि देसाई की शोध पुस्तक ,के अनुसार 'Indian Immigrants in Britain,' (London: Oxford University Press, 1963) द्वीतीय विश्व युध्ध के पहले ,भारतीय प्रवासी व्यक्तियों का ब्रिटेन मे नहीवत आगमन हुआ था जो ब्रिटेन पहुंचे वे छात्र पेशेवर व्यक्ति और नाविक थे
सन १९३९ मे बिर्मिन्ग्हम शहर मे लगभग १०० के करीब भारतीय थे भारतीय और पाकिस्तानी की कुल संख्या ब्रिटेन मे सन १९५५ मे १० ,७०० थी . सन १९९१ की जन गणना सेन्सस के हिसाब से ये संख्या बढ़कर ८४० ,२५५ और पाकिस्तानी मूल के ४७६ ,५५५ तक बढ़ चुकी थी और १६२ ,८३५ बंगलादेशी भी थे .

उत्तर अमरीकी भूखंड पर
Luce–Celler Act के सन १९४६ मे पारित होने के बाद से भारतीय प्रवासीयों को अमरीकी नागरिकता और उत्तर अमरीका मे रहने के हक्क मिले थे . ज्यादातर , मलेसिया , सिंगापोरे , दक्षि ण अफ्रीका , सूरीनाम , गुयाना , फिजी ,केन्या , तंज़ानिया , उगांडा , त्रिनिदाद और टोबागो , जमैका और मोरिश्यस से पहले प्रवासी आकर स्थायी हुए . इस प्रजा मे हिन्दू, जैन , बौध्ध , ईसाई , मुसलमान, पारसी और सिख धर्मावलम्बी लोग थे .
सन १७९० मेँ प्रथम काला सागर पार कर के मद्रास के एक अनाम व्यक्ति मेसेच्य्सेट्स के सेलम की गलियोँ मेँ पहली बार पहुँचे थे
१८२० से १८९८ तक ५२३ और लोग आ पाये. १९१३ तक ७००० और आये. १९७१ मेँ, कोन्ग्रेस ने इस पर रोक लगा दी. १९४३ मेँ जब चीन के अप्रवासीयोँ पर से रोक उठाई गई तब प्रेसीडेन्ट रुज़वेल्ट के बाद आये ट्रूमेन के शासन काल मेँ ३ जुलाई १९४६ मेँ " एशियन अमेरीकन सिटीज़नशीप एक्ट " पारित किया था.
भारतीय प्रजा के प्रवासी दस्ते के आगमन के संग ' हिन्दी ' भाषा भी विदेश मे दाखिल हुयी.
"हिन्दी असोशीयेन ओफ पसेफिक कोस्ट " ने १ नवम्बर १९१३ मेँ "गदर" पत्रिका मेँ घोषणा की
" हम आज विदेशी भूमि पर अपनी भाषा मेँ
ब्रिटीश सरकार के विरुध्ध युध्ध की घोषणा करते हैँ " !
" ग़दर " पत्रिका से सँबध्धतित थे लाला हरदयाल, दलित श्रमिक मँगूराम और १७ वर्षीय इँजीनीयर करतार सिँह सरापा जैसे हिम्मती कार्यकर्ता.

१६ नवम्बर १९१५ के अपयशी दिवस १९ वर्षीय सरापा को भारत मेँ फाँसी पर चढाया गया था. शहीद भगत सिँह ने सरापा को अपना गुरु माना था. सरापा का अँतिम गीत था,
" यही पाओगे, मशहर मेँ जबाँ मेरी बयाँ मेरा,
मैँ बँदा हिन्दीवालोँ का हूँ खून हिन्दी,
जात हिन्दी,यही मज़हब,
यही फिरका, यही है, खानदाँ मेरा !
मैँ इस उजडे हुए भारत के खँडहर का ही ज़र्रा हूँ
यही बस पता मेरा, यही बस नामोनिशाँ मेरा !"

ना जाने सरापा की अस्थियाँ गँगा मेँ मिलीँ या नहीँ ?? :-((
पर, हिन्दी भाषा भारती , तो ,सँस्कृत की ज्येष्ठ पुत्री है !
ऐसा सँत विनोबा भावे जी का कहना है और आज यह हिन्दी की भागीरथी विश्व के हर भूखँड मेँ बहती है जहाँ कहीँ एक भारतीय बसता है
मेरी कविता मेँ मैँने कहा है,
" हम भारतीय जन मन मेँ कहीँ गँगा छिपी हुई है "
" गँगा आये कहाँ से रे गँगा जाये कहाँ रे,लहराये पानी मेँ जैसे धूप ~ छाँव रे " यह सौम्य स्वर लहरी हेमँत दा की सुनतीँ हूँ तब हिन्दी भाषा का मनोमुग्धकारी विन्यास मन को ठीठका कर स्तँभित कर देता है ..
हिन्दी भाषा की गरिमा फिर एक बार, भारतेन्दु हरिस्चन्द्र जी के शब्दोँ को चरितार्थ करे.
" निज भाषा उन्नति ही उन्नति का मूल है "
आओ, प्रण करेँ हिन्दी सेवा का, हिन्दी प्रेम का !
" जननी जन्मभूमिस्च स्वर्गादपि गरीयसी".
" सत्यमेव जयते " जय हिंद !

- लावण्या दीपक शाह DSC01672.JPG

15 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

ज्ञानवर्धक पोस्ट,आभार.

प्रवीण पाण्डेय said...

हिन्दी में पढ़कर अच्छा लगा।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

ब्लॉग जगत को हिंदी दिवस के दिन सुंदर तोहफा दिया है आपने।

संजय @ मो सम कौन... said...

विश्व के दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश की राजभाषा की उपेक्षा कब तक होती?
हम गर्वित महसूस कर रहे हैं।

cgswar said...

हि‍न्‍दी दि‍वस पर इस खूबसूरत उपहार के लि‍ये धन्‍यवाद.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

उपयोगी और सहेजनेयोग्य पोस्ट!
--
हिन्दी भाषा का दिवस, बना दिखावा आज।
अंग्रेजी रँग में रँगा, पूरा देश-समाज।१।

हिन्दी-डे कहने लगे, अंग्रेजी के भक्त।
निज भाषा से हो रहे, अपने लोग विरक्त।२।

बिन श्रद्धा के आज हम, मना रहे हैं श्राद्ध।
घर-घर बढ़ती जा रही, अंग्रेजी निर्बाध।३।

P.N. Subramanian said...

गर्वित तो हम भी हुए परन्तु बहुत देर लगा दी. हम लोगों के (भारत सर्कार) के प्रयास में कोई कमी रही होगी. आपका आलेख बहुत ही ज्ञान वर्धक है. आभार.

shikha varshney said...

गर्व हुआ पढकर.

मीनाक्षी said...

इस महत्त्वपूर्ण पोस्ट को पढ़ने का मौका आज मिला..और पढ़ कर गर्व के साथ साथ खुशी भी हुई...

Pawan Kumar said...

आदरणीया जी

विचारोत्तेजक पोस्ट......
ज्ञान बांटने का आभार

greg0511 said...
This comment has been removed by a blog administrator.
विवेक रस्तोगी said...

आज आ पाये इस पोस्ट पर और यू एन ओ के बारे में काफ़ी अच्छी जानकारी मिली, खासकर हिन्दी में इतनी जानकारी मिलनी संभव नहीं होती।

Unknown said...

आप अपने नाम को सार्थक किया है. इतनी अच्छी रचना के बाद भला हिंदी कैसे दरिद्र होगी. अति सुन्दर.

nayee dunia said...

बहुत अच्छी जानकारी .......शुक्रिया

Shakuntala said...

ज्ञानवर्धक एवं उत्साहवर्धक आलेख के लिए अनेकशःसाधुवाद!
निस्संदेह दादा मन्नाडे के गाए हुए दोनों सुमधुर गीत-
"ऐ मेरे प्यारे वतन...।"और "गंगा आए कहाँ से...।" मन को स्वदेश के प्रति भक्तिभावना और प्यार से ओतप्रोत कर देते हैं।