Saturday, December 1, 2007

।। अमेरिका की धऱती से ।। परदेस की भूमि पर दीपावली

हम, जितनों से मिल पाये, मिल लिये, खुब बधाई दी और लीं ..
३ गोरी लडकियों में से एक ने मेरे बाँयें हाथ पर एक सुफेद कागज़ की पट्टी बाँध दी
हमे अपनी टिकिट बतलानी थी --शहर के निवासी भारतीय बच्चों ने मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किये


।। अमेरिका की धऱती से ।।
परदेस की भूमि पर दीपावली
प्रस्तुत है - सृजनगाथा के पाठकों के लिए 'अमेरिका की धरती से' नामक कॉलम - संपादक
दीपावली के जाने के बाद, सृजनगाथा के हरेक पाठक को मेरी शुभ कामनाएँ !
जो मुझसे बडे हैं, उन्हें श्रद्धापूर्वक, नमन !
जब भी भारत की दीपावली के उत्सव की याद आती है, तो जगमगाते दीप, बिजली के रँगबिरंगी लट्टू, बाजारों में भीड भाड, बच्चों की किलकारियाँ, माँ, भाभी, बहनों की कलाई पर छनकती चूडियाँ, युवतीओं के खनकते पायल, हर आँगन, झाड-बुहार कर साफ-सुथरा, नये रँग से लिपी- पुती दीवारें, मिष्टान्न, मेवा, घी की सुगंध, दरवाज़े पे ऊँचे बाँधा गया , अशोक के हरे पत्तों के साथ केसरी, सुनहरे गेंदे का तोरण, नीचे विविध रँगों से सजी रँगोली, मानो अतिथि समुदाय का स्वागत करती हुई...
रेशमी, नये वस्त्रों मेँ सजे, नर नारी वृंद,...
जी हाँ, कुछ ऐसी ही तस्वीर जेहन में आ जाती है, जब-जब भारत के परिवार के सभी को दीपावली का त्योहार मनाते, हुए, मेरे मन के दर्पण में झाँक कर देखती हूँ तब तब, यही दृश्य सजीव हो उठते हैं ...
मेरे सपनों में, सदा के लिये बस गया मेरा भारत, ऐसा ही तो था, ऐसा ही होगा, हाँ ऐसा ही है !
पर, यथार्थ में, स्वयम् को परदेस की भूमि पर पाती हूँ और स्वीकार करती हूँ कि मैं परदेश मे निवास करती हूँ ! मेरे जैसे असँख्य, भारतीय मूल के लोग, जहाँ कहीं भी बस गये हैं, अपने संस्कारों को, त्योहारों को भूले नहीँ ।
तो इस वर्ष भी दीपावली के उत्सव के अवसर पर, मेरे शहर सीनसीनाटी के हिन्दु मंदिर व अँकुर गुजराती समाज के सौजन्य से निर्धारित किये गये इस त्योहार पर करीब ८०० से ज़्यादा लोग इकट्ठा हुए। जलेबी, मोटी सेव जिसे गाँठिया कहते हैं वह, समोसे, मीठी व हरी चटनियों के साथ, गुलाब जामुन परोसे गये । स्वागत कक्ष में ..
.जहाँ पहुँचने के पहले, हमे अपनी टिकिट बतलानी थी, फिर ३ गोरी लडकियों में से एक ने मेरे बाँयें हाथ पर एक सुफेद कागज़ की पट्टी बाँध दी । अमरीका मेँ अक्सर कहीं भी दाखिल होने पर ऐसा किया जाता है, अस्पतालों में भी, जिससे कितने व्यक्ति शामिल हुए हैं उस बात की गिनती सही-सही रहे
हाल में आग लग जाये तो सिर्फ निर्धारित गिनती के व्यक्ति ही वहाँ होना
ये भी निहायत जरुरी रहता है..
ऐसा नहीँ चलता कि ८०० लोग, बैठ सकते हैं तो ८७५ हॉल में भर दो ! हर सीट के लिये, १ ही व्यक्ति रहे, इस बात पर जोर देकर अमल किया जाता है...तो खैर !
ये सारी रीति निभा कर, जलपान करके हम, जितनों से मिल पाये, मिल लिये, खुब बधाई दी और लीं ..
तब तक भोजन की व्यवस्था हो गई थी जो वाकई स्वादिष्ट था। उसके बाद, शहर के निवासी भारतीय बच्चों ने मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किये. भारत नाट्यम् दक्षिण भारतीय संस्कृति को दीपित कर रहा था तो बंगाल से लोक नृत्य भी पेश किया गया फिर बारी आई, गुजरात के गरबे की ..और हिन्दी सिने संसार के गीतोँ पर भी कई नृत्य हुए । के. एल.सहगल से लेकर हृतिक रोशन तक के गीतों पर बच्चे झूम कर नाचे और कार्यक्रम मध्य रात्रि तक समाप्त हुआ।
जब बाहर गाडियों की ओर चले तब, ठंड का अहसास हमें सचेत कर गया कि हम,
अमरीका की धरती पर हैं ।
भारत की छवि को दिल मेँ समाये, हम भारतीय लोग, भारत के त्योहारों की उष्मा, भारत की सस्कृति की धरोहर, ह्र्दय में बसाये हुए, फिर यहाँ की कर्मठ, जीवन शैली के आधीन होकर लौट रहे थे ।
अपने अपने घरों की ओर ...
रात्रि के आगोश मेँ, आराम पाने के लिये, पंछीयों की तरह, अपने, अपने नीड की ओर उडे जा रहे थे!
तेज रफ़्तार से भागती गाडीयों के काफ़िले में, रोशनी की लकीरों के, सहारे ...।
अँधेरी सडकों को पार करते हुए ...चले जा रहे थे ..घर की ओर !
जहाँ घर पर स्वागत करेंगीं माँ महलक्ष्मी की मुस्कुराती प्रतिमा, घी का जलता दीपक, मिठाई के कुछ टुकडे, प्रसाद स्वरुप, अगरबती जो कब की बुझ गई होगी उसकी चंदनी गंध, महकती रहेगी ...देर तक, जब तक आँखें मुँद न जायेंगीं, थकान से और सवेरे का सूरज, अगर दर्शन दे, तो नये साल की मुबारकबादी भी, दोस्तोँ को, रिश्तेदारों को, फोन से कहेंगे ..
हाँ...इस साल दीपावली सचमुच, बडी दर्शनीय गुजरी...
हर भारतीय को शुभेच्छा भेज रही हूँ -
विश्व मेँ शांति कायम हो !
जहाँ-जहाँ अँधेरा हो, भूख हो, लाचारी हो, गरीबी हो,निराशा हो, बीमारी हो,
हे माता महलक्ष्मी, वहीँ-वहीँ आप की कृपा से उजाला कर दो !
आप के लिये क्या सँभव नहीँ है ?
अब आज्ञा ..
."अमरीकी पाती" आप से विदा लेती हैं...
.फिर जल्दी मिलेंगे..
तब तक...
" सत्कर्म करते रहें .
.शुभम्अस्तु,
स स्नेह,
लावण्या

6 comments:

Dr Prabhat Tandon said...

चलिये इसी बहाने हम भी आप के साथ दिवाली का आनन्द ले आये !! धन्यवाद!

Harshad Jangla said...

Enjoyed the blog and the pictures too. Thanx.

अजित वडनेरकर said...

सुहाना लगा परदेस की दीवाली का सचित्र हाल...

Divine India said...

मैं'म,
बहुत अच्छी तस्वीर है साथ संस्कृति की उम्दा झलक…।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

दीव्याभ, अजित जी, प्रभात जी ,

आप को पसंद आया यह सचित्र हाल टू लिखने की मेहनत सफल हो गयी -

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Thank you Harshad bhai for your kind comments ..
your encouragement is greatly appreciated .
rgds,
L