Tuesday, December 11, 2007

रानी व बाबू नामक दो चिंपांज़ी



बी. बी. सी के सौजन्य से : ~
~ रानी व बाबू नामक दो चिंपांज़ी की शरारत भरी कहानी का मज़ा लें http://www.bbc.co.uk/hindi/regionalnews/story/2007/12/071206_chimpanzee_out.shtml
चिंपांज़ी को आम तौर पर इंसानों का दोस्त कहा जाता है,लेकिन तभी तक जब तक यह विशाल जीव पिंजड़े के भीतर रहे.
इसके पिंजड़े से बाहर आ जाने पर कितना हंगामा हो सकता है इसका नज़ारा बुधवार की शाम को कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर में देखने को मिला.
कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर में आए दर्शकों ने इस बात की कल्पना तक नहीं की होगी कि उनको इतनी बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ेगा.
वहाँ रानी व बाबू नामक दो चिंपांज़ी बुधवार शाम अचानक अपने पिंजड़े से बाहर निकल आए. उन्होंने दो महिला दर्शकों को पंजा मारने का भी प्रयास किया. उन विशालकाय जीवों को देखते ही चिड़ियाघर परिसर में भगदड़ मच गई और लोग वहां से भागने लगे.
'चिंपाज़ी ने लात मारकर गिराया'
चिड़ियाघर के निदेशक सुबीर चौधरी कहते हैं कि चिंपांज़ी दंपति के पिंजड़े में लगा ताला पुराना था. वे उसे तोड़ कर बाहर निकल आए. लेकिन बाहर आने के बाद लोगों की चीख-पुकार सुन कर वे घबरा गए और फिर अपने पिंजड़े में घुस गए.
कानन दास चौधरी कहते हैं कि अब पिंजड़े में एक नया ताला लगाया जाएगा और इस मामले में किसी की गलती नहीं है. प्रबंध समिति की बैठक में भी इस मामले पर विचार किया जाएगा.
चौधरी चाहे जो भी दलील दें, जाड़े की दुपहरी में चिड़ियाघर घूमने के बाद बाघ के पिंजड़े के बाहर आराम कर रहे दास परिवार को यह अनुभव जीवन भर याद रहेगा.
परिवार की बुज़ुर्ग महिला कानन दास अब बी उसे याद कर सिहर उठती हैं. वे कहती हैं, "हमलोग घूमने के बाद कुछ देर के लिए आराम करने बैठे थे. अचानक वह विशाल जानवर मेरे कंधे पकड़कर हिलाने लगा और लात से मार कर मुझे गिरा दिया. यह देख कर मेरी पुत्रवधू पंपादेवी ने चिंपाज़ीको मुक्के से मारा. इस पर चिंपाज़ी ने उसे भी एक लात मार दी, जिससे वे नीचे गिर गईं. "
रानी तो सुरक्षा कर्मचारियों के शोरगुल से जल्दी ही पिंजड़े में लौट गई, लेकिन बाबू को पकड़ने में चिड़ियाघर के कर्मचारियों के पसीने छूट गए.
वह पूरे इलाके में काफ़ी देर तक भागता रहा और इस दौरान चिड़ियाघर में आतंक व अफऱातफरी का माहौल रहा.
अफ़रातफ़री
चिपांज़ी के बाहर आने से चिड़ियाघर में अफ़रातफ़री मच गई
चिड़ियाघर में बुधवार को कोई आठ हज़ार दर्शक पहुंचे थे. बाबू के पिंजड़े में लौटने के बाद उन लोगों ने चैन की सांस ली, लेकिन इस घटना के घंटों बाद भी इसका आतंक उनके चेहरों पर साफ नज़र आ रहा था.
हावड़ा के शिक्षक सुकुमार घोष अपने दो बच्चों व पत्नी के साथ घूमने आए थे. वे कहते हैं, "अचानक शोरगुल मचा और लोग बेतहाशा भागने लगे. पहले तो कुछ समझ में ही नहीं आया. फिर देखा कि एक चिंपाज़ी दो लोगों को खदेड़ रहा है. उस समय दिमाग ही काम नहीं कर रहा था छोटे बच्चों को लेकर कहां जाएं. फिर हम वहीं एक पेड़ की आड़ में छिप गए.
एक अन्य दर्शक रूमा पाल तो जान बचाने के लिए अपने पति के साथ एक रेस्तरां की रसोई में घुस गई. एक पेड़ के नीचे बैठकर नाश्ता कर रहे दो मित्र-खगेन व अभिजीत तो चिंपाज़ी को अपनी ओर लपकते देख टिफिन वहीं छोड़ कर सिर पर पांव रख कर भागने लगे. बाद में उन्होंने एक रेस्तरां के भीतर घुस कर पीछा छुड़ाया.
अब इस घटना के बाद चिड़ियाघर की प्रबंधन समिति ने विभिन्न जानवरों के पिंजड़ों की नए सिरे से जांच करने व खामियों को दूर करने का फैसला किया है ताकि दोबारा ऐसा कोई घटना नहीं हो.

2 comments:

mamta said...

कहानी तो अच्छी है। पर अगर .....तब तो बाप रे !!

Harshad Jangla said...

Lavanyaji

Very interesting and as if Ankho Dekha Haal.....

Thanx.