Sunday, December 2, 2007

गत सप्ताह मायावती जी का रवैया भी मीडीया में चर्चित रहा






माधुरी दिक्षीत नेने अपनी नई फ़िल्म "आजा नच लै ' के बाद श्रोताओं से बातचीत कर रहीं हैं
आज, जब " आजा नच लै " फ़िल्म से जुडी ये खबर देखीं टीवी सोच रही हूँ, की आज के भारत में कई स्तर पर महिलाएं जी रहीं हैं -
१) माधुरी जैसी सफल हीरोंइन् - जो एन . आर. इ. हैं - दो दुनिया हैं उनकी जहाँ वे जी रहीं हैं -
२) शर्मीला जी - जो आधुनिका हैं, भारत के गाँव में जी रहीं ९५% महिलाओं से उनका अपना जीवन बहुत ही अलग किस्म का है - उनका नज़रिया अलग होना स्वाभाविक है -
३) मायावती जी हैं - महत्त्वपूर्ण ओहदे पर विराजमान हैं - किंतु, आदर्श भारतीय महिल के अनुरुप जीवनशैली जी रहीं हैं - दलित - वर्ग के उत्थान लिए भी काम कर रहीं हैं -
यहां सेंसर बोर्डं की मेम्बर नायिका शर्मीला टैगोर अपनी बात , उनका नज़रिया पेशा कर रहीं हैं
गत सप्ताह मायावती जी का रवैया भी मीडीया में चर्चित रहा --
बचपन के दिनों में जहाँ हम बड़े हुए उस बम्बई के उपनगर "खार " में भी रेलवे लाइन के पूर्व की और बस्ती हुआ करती थी जहाँ " दलित वर्ग " के लोगों के घर हुआ करते थे. पश्चिम में ,हमारे घर से २ रास्ते आगे जाने पर कोली जाती की घनी आबादी थी -
२० वें रास्ते पर और १९ वें रास्ते की दूसरी तरफ भी "दलित कॉम" के लिए घर बनाए थे सरकार ने -- जिनमें मेरी स्कूल की २ बहनें रहतीं थीं - उनमें से एक डाक्टर बनकर , कई साल बाद यहाँ अमरीका में मिल गयी और बहुत सुख / सहूलियत भरा जीवन जी रही है
२० वें रास्ते पर एक मीठी बेन रहतीं थीं - जो साग सब्जी बेचने उनकी बड़ी बहू के संग हमारे घर आया करतीं थीं - मीठी बेन हमेशा मुस्कुरातीं रहतीं थीं - बड़ी लाल बिंदिया उनके माथे पे शोभा देती और उनके ९ संतान थीं -- सबके सब एक घर में रहते थे. उनके बेटे रामजी भाई हम बहनों को गणित सीखाने आया करते थे ..... हम उन्हें बहुत परेशान करते थे -
बड़ा शरीफ लड़का था वो ! जो झेंप कर हमसे मनुहार करता रहता था की, ' हम ज्यादा उधम ना करें और अब पढने बैठ जाएं ! " चूंकि उनके आते ही हम लोग, इधर - उधर भागते रहते थे -

खैर ! आम जनता के लिए तो सबसे आसान यही है की, सिनेमा देखो और अगली खबर का इंतज़ार करो -- ना जाने फिर कौन सी नई लड़ाई शुरू हो जाए -- क्या पता ?

बातें होतीं रहतीं हैं -- परन्तु, जो असली काम करनेवाले हैं, वे ही मुश्किल परिस्थिति में से आगे जाने का रास्ता निकालने में व्यस्त रहते हैं --

मैं उन्हीं जैसों की जय बोलूँगी -

6 comments:

Harshad Jangla said...

Lavanyaji
Interesting article.
Madhuri looks refreshing with her cute child.
Dharavi has the biggest Zopadpatti in Asia.
Rgds.

पारुल "पुखराज" said...

चित्र बहुत सुंदर लगे । और आप बिल्कुल सही कह रही है…आज के भारत में कई स्तर पर महिलाएं जी रहीं हैं - बोले तो भारतीय नारी= हम किसी से कम नही,मगर आज भी कम से कम 60/ मिठी बेन की तरह वही लाल बिन्दिया लगाने मे बहुत खुशी महसूस करती हैं

Dr.Bhawna Kunwar said...

Lavanyaji bahut acha lekh ha or chitron se to or bhi sundar ban pada ha ...

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Yes Harshad bhai, I've seen Dharavi -- there is a talk of displacing those who live there
but i am not sure , how or when it will happen.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

पारुल जी, लाल बिँदिया लगाने मे
कोई हरज नहीँ - हाँ, साथ साथ नारी जाति का सन्मान, व उनकी हर दिशा मेँ प्रगति हो तब भारत का भविष्य अवश्य उज्वलतर होगा --

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Bhawna ji,
anekon Dhanyawaad --