Wednesday, April 30, 2008

बूँद और समुद्र ~~ सन्दर्भ


बूँद और समुद्र
[ कविता ~~ पहली ]
रिश्ते ~~ नाते ,
सगे सम्बन्धी
पास ~~ पडौस
गली मोहोल्ला और
घर गृहस्थी
दूर की बस्ती ,
महलों की हस्ती ,
देश ~~ विदेश ,
भेस परिवेश !
ग्रह ~ उप ग्रह ,
तारिकाएँ , निहारिकायें ,
अनगिनती चेहरे ,
जाने ~ पहचाने ,
या , कुछ अनजाने ,
और ~~~ मैं !!

~ सन्दर्भ ~
[ कविता - दूसरी ]
ज्योति का जो दीप से ,
मोती का जो सीप से ,
वही रिश्ता , मेरा , तुम से !
प्रणय का जो मीत से ,
स्वरों का जो गीत से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
गुलाब का जो इत्र से ,
तूलिका का जो चित्र से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
सागर का जो नैय्या से ,
पीपल का जो छैय्याँ से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
पुष्प का जो पराग से ,
कुमकुम का जो सुहाग से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
नेह का जो नयन से ,
डाह का जो जलन से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
दीनता का शरण से ,
काल का जो मरण से ,
वही रिश्ता मेरा , तुम से !

9 comments:

Anonymous said...
This comment has been removed by a blog administrator.
अमिताभ मीत said...

बहुत सुंदर रचनाएं.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

आपको पसँद आयीँ इसकी खुशी है -
- लावण्या

Udan Tashtari said...

अच्छी रचनाऐं.

Gyan Dutt Pandey said...

जिस अंतर्मन की प्रसन्नता और सौन्दर्य से लिखी हैं, वह बरकरार रहे।

Harshad Jangla said...

Lavanyaji

wonderful creation!

Tulika is a Kalam or a Lekhani or a pen. Right? Or a paint brush?

Manish Kumar said...

सरल सहज शब्दों में रिश्तों को अच्छी तरह पढ़ा है आपने। सन्दर्भ खास पसंद आई !

डॉ .अनुराग said...

सुंदर भावना ओर एक अलग अंदाज मे पेश की गई कविता ओर शीषक बेहद लाजवाब....कुल मिलकर लाजवाब

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

ज्ञान भाई साहब, मनीष भाई, समीर भाई, डा. अनुराग भाई आप सभी का आभार
मेरे प्रयास को पसँद करने के लिये
&
Harshad bhai,
"Tulika" is the Paint brush indeed ! You guessed it right.
Warm Rgds to all ~~
L